Saturday 27 August 2011

अन्ना के समर्थन में रामलीला मैदान पहुंची बख्तियारपुर की महिलाएं



अन्ना हजारे का अनशन जैसे-जैसे बढ़ता गया वैसे-वैसे काफिला जुड़ता गया। दिल्ली के रामलीला मैदान और इंडिया गेट पर जनसैलाब उमड़ा। देश के कोने-कोने से अन्ना हजारे के समर्थन में लोग एकजुट हो रहे हैं। वहीं भ्रष्टाचार के विरोध में सिमरी बख्तियारपुर की दो महिलाओं ने हजारों किलोमीटर की दूरी तय कर दिल्ली के रामलीला मैदान में अन्ना हजारे के समर्थन में खड़ी रही। इन दोनों महिलाओं ने दिल्ली के रामलीला मैदान में अन्ना हजारे के समर्थन में आवाज बुलंद किया। सिमरी बख्तियारपुर की निवासी पूनम प्रसाद ने बताया कि उन्होंने हाथों में झंडे, नारे लिखीं तख्तियां और सिर पर गांधी टोपी लगा कर अन्ना का समर्थन किया। उनका मानना है कि देश में भ्रष्टाचार का बोलबाला है। ऐसे में एक व्यक्ति हम सब के हक के लिए उठ खड़ा हुआ है। और हम सब का कर्तव्य है कि गांधीवादी अन्ना का समर्थन करें। उनका मानना है कि ये लड़ाई सिर्फ एक आदमी की नहीं है। ये देश की लड़ाई है। वहीं सिमरी बख्तियारपुर की निवासी स्नेह सौरभी ने बताया कि ये आजादी की दूसरी लड़ाई है। उन्होंने बताया कि भ्रष्टाचार देश के लिए एक अहम मुद्दा है। और आज देश को ही नहीं अन्ना जैसे लोगों की जरूरत है। उन्होंने बताया कि भ्रष्टाचार आदमी के जन्म से ही शुरू हो जाता है और मृत्यु तक उसका साथ नहीं छोड़ता। इसके अलावा उन्होंने बताया कि आजकल छोटी छोटी चीजों के लिए भी हमें पैसे देने पड़ते हैं। मंदिर में पूजा कराने से लेकर लाइसेंस बनवाने तक हर चीज के लिए पैसे देने होते हैं। बिना पैसे दिए काम आगे बढ़ता ही नहीं है। हालांकि उन्होंने बताया कि आज महिलाएं पुरुषों के साथ कंधा से कंधा मिला कर चलने के लिए तैयार है। ऐसे में अगर कोई महिला भी अन्ना के साथ अनसन पर बैठती तो उन्हें ज्यादा खुशी होती। इसके अलावा उनका मानना है कि देश में भ्रष्टाचार और काले धन को रोकने में मदद मिलेगी। स्नेह सौरभी ने बताया कि देश अब इस बकैत, लठैत और डकैत सरकार से तंग आ चुकी है। आवाम की कमाई अपनी तिजोरी में भरने वालों के पास भले ही क्रूर संवेदनहीन पुलिसिया तंत्र, गोली बारूद हो लेकिन उनके सारे अत्याचार एक ऐसे शख्स के आगे फीके हैं जिसने देश के लिये अपना परिवार नहीं बसाया, जो गाँधी टोपी और बेहद कम संसाधनों के सहारे जिंदगी बसर कर रहा है। जिसके पास विचारों की ताकत है। स्नेह सौरभी ने बताया कि राम लीला मैदान से लेकर इंडिया गेट तक लोगों का हुजूम लगा था। अन्ना के समर्थन में निकली रैली में बच्चे, युवा, महिलाएं और बुजुर्ग भी थे। इनमें सबसे ज्यादा युवाओं की तादाद थी। दिल्ली में हर तरफ अन्ना हजारे के आंदोलन की गूंज चल रही है। दिल्ली की सड़कों पर गांधीवादी के समर्थक तिरंगा लहराते हुए लोगों को प्रेरित करते नजर आए। समर्थकों ने भजन-कीर्तन और देशभक्ति के गीतों से एक दूसरे का उत्साह बढ़ाया।

Monday 31 January 2011

काले धन का सफेद चिट्ठा

भारत में हर साल 210 अरब रुपये की रिश्वत ली और दी जाती है, जो जीडीपी का लगभग पौने परसेंट है। हम और आप हर कहीं घूस देते हैं। चाहे वो एडमिशन कराना हो.. या फिर ड्राइविंग लाइसेंस बनाना या पासपोर्ट बनाना। यही नहीं अब तो खुले आम लोग घूस मांगते हैं। पैन कार्ड बनवाने या फिर ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए लोग एड देकर घूस मांग रहे हैं। वहीं अब ये एक स्टडी से भी साबित हो गया है।
सौ में से 80 न सही लेकिन एक स्टडी से ये खुलासा जरूर हुआ है कि भारत में सौ में से 54 लोग भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं। भारत में भ्रष्टाचार दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। एक सर्वे से खुलासा हुआ है कि इस देश में रहने वाले 100 में 54 लोग बेईमान हैं। ये खुलासा हुआ है गैर सरकारी संगठन ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनलकी रिपोर्ट से। रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल यहां हर दूसरे शख्स ने अपना काम कराने के लिए अधिकारियों को रिश्वत दी। वहीं खुलासा हुआ है कि पुलिस रिश्वत लेने के मामले में नंबर वन है। देश में 100 में 54 लोग भ्रष्ट हैं। जो अपना काम करवाने के लिए भ्रष्टाचार का सहारा लेते हैं। फिर चाहे इसके लिए वो घूस दें या घूस लें।
 इस रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल भारत में अपना कोई न कोई जरुरी काम करवाने के लिए 54 परसेंट लोगों ने रिश्वत दी। यानि देश का हर दूसरा शख्स रिश्वत देने में यकीन रखता है। सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार पुलिस डिपार्टमेंट में है। भारत में टू जी स्पेक्ट्रम जिसने देश को 1 लाख 76 हजार करोड़ का चूना लगाया। भ्रष्टाचार की मुंबई में आदर्श इमारत भी इसी बात को दर्शाती है। कॉमनवेल्थ में सैकड़ों करोड़ का घोटाला भी इसी इसी ओर इशारा करता है। भारत में फैल रहे भ्रष्टाचार के कैंसर को भी बेपर्दा किया है इस स्टडी ने। लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि आप और हम कोई न कोई काम निकलवाले के लिए सरकारी कर्मचारी को घूस जरूर देते हैं। घूस लेना और देना दोनो ही देश में काले धन को बढ़ावा दे रहा है।

केरोसिन की कालाबाजारी

बॉलीवुड की रंगीन चमचमाती दुनिया में टैक्स चौरी से काले धन की कालिख मजबूत हो रही है तो, दूसरे धंधों में भ्रष्टाचार से काले धन की कालिख बढ़ रही है। केरोसिन जो, कम कमाई वाले लोगों के लिए सब्सिडी पर बेचा जाता है। उसके काले मुनाफे में इतनी ताकत थी कि एक बेईमान धंधेबाज ने एक ईमानदार अधिकारी को जिंदा जला दिया। अब सरकार जागी है और छापे-गिरफ्तारी कर रही है। जबकि, ये रहस्य सब जानते हैं कि केरोसिन की कालाबाजारी हजारों करोड़ की अलग अर्थव्यवस्था है जिसमें सबका अपना हिस्सा है।
देश में हर महीने 93 करोड़ लीटर केरोसिन बिकता है।  एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकार द्वारा मुहैया 40 परसेंट केरोसिन कालाबाजारियों के हाथों में चला जाता है। नेपाल, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे हमारे पड़ोसी देशों में केरोसीन की कीमतें पेट्रोल-डीजल की कीमतों के लगभग बराबर है। इसलिए सरकारी तेल डिपो व टैंकरों से चुराया गया केरोसिन तस्करी के जरिए इन देशों में महंगे दाम पर बेच दिया जाता है। एसोचेम के एक सर्वे के अनुसार हर साल सौ करोड़ लीटर केरोसिन की तस्करी हो रही है। इससे सरकार को हर साल 3395 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। केंद्र सरकार की ओर से आम आदमी को मुहैया कराए गए सस्ते केरोसिन का आधा हिस्सा मिलावटखोरों और तस्करों के हाथ लग जाता है।  सरकार केरोसिन पर हर साल करीब 20,000 करोड़ रुपए की सब्सिडी देती है जबकि राशन की दुकानों पर हर साल 13 हजार 950 करोड़ रुपए का केरोसिन बिकता है। सब्सिडी में यह रकम जोड़ें तो राशि करीब 34 हजार करोड़ रुपए होती है। यदि बिना सब्सिडी केरोसिन बेचा जाता तो तेल कंपनियों को यह रकम मिलती। यानी यह केरोसिन की वास्तविक कीमत है जो प्रति लीटर 30.42 रुपए है। सब्सिडी में मिली छूट की वजह से राशन की दुकान पर केरोसिन साढ़े बारह रुपए प्रति लीटर पड़ता है। जबकि पेट्रोल-डीजल की कीमत इससे कई गुना ज्यादा हैं। तेल माफिया पेट्रोल-डीजल में सस्ते केरोसिन की मिलावट कर दाम में फर्क का फायदा उठाता है।सस्ते केरोसिन का 40 फीसदी हिस्सा कालाबाजारी ले उड़ते हैं जबकि 10 फीसदी तस्करी के जरिए पड़ोसी देशों में बेच दिया जाता है। इससे एक तरफ जहां आम आदमी से सस्ता केरोसिन दूर हो रहा है, वहीं सरकार को सालाना करीब 17000 करोड़ रुपए का नुकसान भी हो रहा है। मिलावटखोरी का यह धंधा देश में तेजी से फैल रहा है और इस पर जल्द से जल्द लगाम लगाना जरूरी है।

बॉलीवुड की काली कमाई

काले धन की कालिख के निशान समय-समय पर बॉलीवुड में भी नजर आते रहते हैं। अभी ताजा मामला है मशहूर अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा और कैटरीना कैफ के घरों पर आयकर विभाग के छापे का। प्रियंका पर करीब आठ करोड़ रुपए की कमाई पर टैक्स चुराने का आरोप है। ये सिर्फ एक मिसाल है सच्चाई ये है कि बॉलीवुड की फिल्मों और काले धन का रिश्ता बहुत पुराना है। और, सालाना करीब ढाई हजार करोड़ रुपए की टैक्स चोरी का अनुमान लगाया जा रहा है।
बॉलीवुड की देसी गर्ल प्रियंका चोपड़ा इनकम टैक्स के शिकंजे में फंस गई हैं। लगातार दूसरे दिन प्रियंका के घर पर पड़े छापे में आयकर विभाग को 7.5 करोड़ की बेमानी संपति मिली है। ये वो संपति है जिसका हिसाब खुद प्रियंका चोपड़ा भी नहीं दे पाईं। इनकम टैक्स को भी अभी तक इस संपति का कोई ब्योरा नहीं मिल पाया है। इससे पहले कैटरीना कैफ के घर और दफ्तर पर भी इनकम टैक्स के छापे पड़े थे। बॉलीवुड की इन दो मशहूर अभिनेत्रियों के घरों पर पड़े टैक्स छापे ने फिर से इस बात को मजबूती दी है कि बॉलीवुड में टैक्स चोरी और फिर इसके काले धन में तब्दील होने की कहानी रुकी नहीं है। पहले ये काला धन सीधे-सीधे दाऊद जैसे अपराधियों के जरिए लगता था। लेकिन, अब इसकी जरूरत नहीं रही। अब निर्माता ही काले धन की कालिख बढ़ाने में मददगार होते हैं। ये एक कड़वी सच्चाई है कि बॉलीवुड की फिल्मों में जो, रकम लगती है वो, पूरी रकम कभी भी टैक्स विभाग की जानकारी में नहीं होती। फिल्मी सितारों को किस फिल्म के लिए कितनी रकम मिली ये हमेशा लोगों के लिए अबूझ पहेली होता है। सितारों की इस झिलमिलाती, रंगीन दुनिया में हर साल करीब ढाई सौ फिल्में बनती हैं। और, जिस तरह से टैक्स छापों में टैक्स चोरी की बातें समय-समय पर सामने आती हैं उसे आधार माना जाए तो, हर फिल्म दस करोड़ रुपए की टैक्स चोरी का सीधा सा मतलब हुआ कि सालाना करीब ढाई हजार करोड़ रुपए की टैक्स चोरी बॉलीवुड में हो रही है और ये काले धन का खजाना बढ़ा रहा है। सरकार पर काले धन को विदेश से वापस लाने का दबाव बढ़ रहा है। लेकिन, सबसे ज्यादा मुनाफे वाली इंडस्ट्री में बढ़ते काले धन पर रोक की चिंता शायद ही किसी को है। क्योंकि, इस रंगीनी में हर कोई खो जाता है। बस कभी-कभी छोटे-मोटे टैक्स छापे भर से काम चलाया जा रहा है।

काले धन की कालिख

काले धन का मुद्दा तो बरसों से है। लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के नेता लालकृष्ण आडवाणी ने इसे चुनावी मुद्दा बनाने की भी कोशिश की। लेकिन, सरकार पर इसका असर तब दिखा जब सुप्रीमकोर्ट ने इस मामले पर फटकार लगाई है। कहा जा रहा है कि स्विस बैंक में ही भारत का इतना काला धन है कि पूरी अर्थव्यवस्था की सूरत ही बदल सकती है। स्विट्जरलैंड से मिले आंकड़ों के अनुसार विश्व के सभी देशों के काले धन से ज्यादा अकेले भारत का काला धन स्विस बैंकों में जमा है। स्विस बैंकों में कुल जमा भारतीय रकम 66,000 अरब रुपए है। स्विस बैंकिंग एसोसिएशन की 2008 की रिपोर्ट, जो अब जारी की गई है के अनुसार भारत के बाद काला धन जमा करने में रूस, 470 बिलियन डॉलर, ब्रिटेन, 390 बिलियन डॉलर और यूक्रेन 100 बिलियन डॉलर का नंबर है। इन देशों के अलावा बाकी विश्व के अन्य सभी देशों का मिला जुला काला धन 300 बिलियन डॉलर है। भारत से लंबे समय से विदेशों में पैसा जमा किया जाता है। स्विट्जरलैंड तो केवल एक देश है, इसके अलावा कई देशों में भारतीयों का धन जमा है। ये देश वे देश हैं जहां सरकारें खुद इस तरह की कमाई को जमा करने के लिए प्रोत्साहन देते हैं। यह कारा धन भ्रष्ट राजनीतिज्ञों, आईएएस, आईपीएस और उद्योगपतियों का माना जाता है। हालांकि सरकार का मानना है कि अब तक उन्हें बीस लाख करोड़ रुपए के काले धन की जानकारी मिली है।
यह रकम भारत पर कुल विदेशी कर्जे का 13 गुना है। हर साल यह रकम तेजी से बढ़ रही है लेकिन सरकार का इस पर कोई नियंत्रण नहीं है। भारत में करीब 45 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे का जीवन बिता रहे हैं। उनकी रोजाना की औसत आमदनी 50 रुपयों से कुछ ही ज्यादा है। यदि भारत का विदेशों में जमा काला धन भारत लाया जाता है तो केवल कुछ ही घंटों में देश की काया पलट हो सकती है। न केवल गरीबों का जीवन स्तर सुधरेगा बल्कि  विदेशों का सारा कर्ज भी उतर जाएगा। और यदि पूरे देश पर कोई कर नहीं लगाया जाए तो भी सरकार अपनी मुद्रा को अगले 30 साल तक स्थिर रख सकती है। भारत से औसतन 80,000 लोग हर साल स्विट्जरलैंड की यात्रा करते हैं और इनमें से 25,000 लोग अक्सर ही इस देश की यात्रा पर जाते हैं।  सरकार यदि केवल इन 25,000 लोगों पर ही कड़ी नजर रखे तो काफी कुछ खुलासा हो सकता है। हालांकि स्विट्जरलैंड सरकार ने इस मामले में पहले भी भारत की मदद नहीं की है लेकिन यदि भारत सरकार लगातार दबाव बनाए तो भारत को इन भ्रष्ट लोगों की जानकारी मिल सकती है।

Sunday 23 January 2011

अंधेर नगरी चौपट राजा

जब देश में टमाटर, प्याज, पेट्रोल और बीयर की एक ही कीमत पर मिलने लगे तो इसे क्या कहेंगे। ये तो अंधेर नगरी चौपट राजा, टके सेर भाजी टके सेर खाजा वाली कहानी को चरितात्र करता है। ऐसे में आप क्या कहेंगे। आसमान छूती महंगाई ने लोगों का जीना हराम कर दिया है। महंगाई से सभी वर्ग काफी परेशान हैं। राशन सामग्री, हरी सब्जियों के मूल्य ने जेबें ढीली कर दी हैं। सबसे ज्यादा परेशानी गरीब वर्ग के लोगों का हो रही है। दिनभर मजदूरी करने के बाद भी दो वक्त की रोटी का जुगाड़ नहीं कर पा रहे हैं। मध्यम वर्ग के लोगों का महीने का बजट सप्ताह भर में ही समाप्त हो जाता है। वहीं पेट्रोल के दाम सुन कर तो लोग पैदल जाने में ही भलाई समझ रहे हैं। पेट्रोल की कीमत पिछले छह महीने में 17 परसेंट बढ़ गई है। और सरकार के कान पर जूं भी नहीं रेंग रहा है। सरकार का मानना है कि कीमत में जब ज्यादा बढ़ोत्तरी होगी तभी वो हस्तक्षेप करेगी। ये तो अंधेर नगरी, चौपट राजा वाली कहानी की तरह ही हो गया है । अब हम आपको बताते हैं कि दिल्ली में पिछले कुछ दिनों से प्याज, पेट्रोल और बीयर की कीमत एक हो गई है। दिल्ली में प्याज जहां 60 रुपए प्रति किलो बिक रहा है। वहीं पेट्रोल 60 रुपए प्रति लीटर के करीब पहुंच गई है। इसके अलावा एक बोतल बीयर के लिए भी आपको खर्च करने होंगे करीब 60 रुपए। वहीं एक किलो टमाटर भी अब 60 रुपए किलो मिलने लगा है। इन चारों की कीमत देखते हुए लगता है कि सरकार को आम लोगों की चिंता नहीं है। हालांकि  पेट्रोल के दाम बढ़ते ही लोगों को झटका लगा है। महंगाई पर सबसे ज्यादा असर डीजल और पेट्रोल के दामों का होता है। लोगों को डर है कि अब फिर से महंगाई बढ़ने का चक्र शुरू हो सकता है। अगर और महंगाई बढ़ी तो आम आदमी के लिए जीना मुश्किल हो जाएगा। पेट्रोल की बढ़ी कीमतों का सबसे ज्यादा प्रभाव आम आदमी पर पड़ने वाला है।

Wednesday 19 January 2011

मोबाइल नंबर पोर्टिब्लिटी से राहत

मोबाइल नंबर पोर्टेब्लिटी का इंतजार कर रहे लोगों के इंतजार का समय खत्म हो चुका है। अब आपको मोबाइल कंपनी के नखरे नहीं सहने होंगे। कॉल ड्राप, नेटवर्क की समस्या या महंगी कॉल दरों को लेकर अभी तक ग्राहक मोबाइल कंपनियों के जुल्म सहते चले आ रहे थे क्योंकि ऑपरेटर बदलने के लिए उन्हे नंबर भी बदलना पड़ता लेकिन आज से यह सब इतिहास बन जाएगा। ऑपरेटर बदलने के लिए बस आपको एक एसएमएस करना होगा। मैसेज बॉक्स में जा कर टाइप करें पोर्ट, फिर अपना मोबाइल नंबर और भेज दीजिए 1900 पर। इसके बाद आपको एक युनीक पोर्टिंग कोड मिलेगा। इस कोड की मदद से आप अपना पसंदीदा ऑपरेटर चुन सकेंगे। ऑपरेटर को कोड दिखाकर और फॉर्म भरने के बाद आपको नया सिम कार्ड मिल जाएगा। औपचारिकताएं पूरी होने के बाद आपका नया सिम कार्ड एक्टिवेट हो जाएगा। ऑपरेटर बदलने के लिए चुकाने होंगे सिर्फ 19 रुपये। टेलिकॉम रेग्युलेटरी ऑथरिटी ने 20 जनवरी से पूरे देश में मोबाइल पोर्टेब्लिटी सुविधा लागू करने की नोटिफिकेशन जारी कर दी थी। हांलाकि इससे पहले हरियाणा में यह सुविधा शुरु हो चुकी थी। अपने ऑपरेटर को बदलने के लिए उफभोक्ता को केवल 19 रुपए का भुगतान करना होगा साथ ही अपने पुराने बिल को चुकाना होगा उसके बाद वह किसी भी ऑपरेटर का चयन कर सकता है। मोबाइल ऑपरेटरों के विरोध के चलते एमएनपी को तीन बार रद्द करना पड़ा था। एमएनपी लागू होने से पहले सभी मोबाइल कंपनियां दूसरी कंपनियों के ग्राहक अपनी ओर खीचने के लिए जबर्दस्त प्रचार कर रही हैं।